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परिभाषा(Defination)
बीज का विकास (Development of Seeds)
बीजाण्ड के विभिन्न भाग बीज के विभिन्न भागों का निर्माण करते हैं। जैसे बीजाण्ड के कृष्णपाल(funikcel) से बीज वृन्त, बाह्य आवरण से कवच (Testa), अन्तः आवरण से अंतः कवच (Tegmen) एवं अण्ड द्वार (Microp से बीज द्वार का निर्माण होता है।
बीज के दोनों आवरण क्रमशः टेस्टा व टेगमेन बीज चोल (Seed Coat) बनाते हैं। कभी-कभी ये दोनों आवरण आपस में इस तरह मिले होते हैं कि इन दोनों को अलग करना अत्यन्त कठिन होता है। व अलग-अलग रूप से नहीं पहिचाना जा सकता है। बीजचोल(Seed Coat) के अंदर का संपूर्ण भाग गिरी या करनैल (Kernel) कहलाता है जो दो या एक बीजपत्रों के रूप में होता है। इन्हीं बीजपत्रों के मध्य भ्रूण (Embryo) उपस्थित होता है।
(1) एकबीजपत्री बीज(Monocotyledonous Seed)-
(2) द्विबीजपत्री बीज (Dicotyledonous Seed)-
द्विबीजपत्री बीजों में बीजपत्रों की संख्या दो होती है।। इन बीजों में धूण के विकास के लिये संचित भोजन बीजपत्रों में पाया जाता है इसलिये इनके बीजपत्र स्वस्थ्य मोटे एवं गूदेदार होते हैं।
ये सभी प्रकार को दाल, अमरूद, आम, नीम, जामुन, कपास, इमली, लौकी, मटर, अण्डी आदि द्विबीजपत्री पौधों के उदाहरण हैं। लेकिन प्रायः सभी द्विबीजपत्री पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते हैं लेकिन अपवाद स्वरूप कुछ द्विबीजपत्री पौधों के बीजों में केवल एक ही बीजपत्र होता है। जैसे भुईकेश (Corydalis) में। यह पोस्त कुल (Poppy Family/Papaveraceae) का एक पतला संजन आरोही (Tendril Climbing) तथा शाकीय पौधा (Herbaceous plant) है। ऐखोनिया (Abronia) में भी केवल एक ही बीजपत्र होता है। बहुत से परजीवियों (parasites) में एक भी बीजपत्र नहीं होता है। जैसे अमरबेल (Dodder) में।
(2) अभ्रूणपोषी बीज (Non Endospermic Seeds)-
वे सभी बीज जिनमें भ्रूणपोष या एन्डोस्पर्म नहीं या जाता अधूणपोषी या नॉन एन्डोस्पर्मिक बौज कहलाते हैं। जैसे द्विबीजपत्री बीज। अधिकतर सभी द्विबीजपत्री अभूणपोषी होते हैं। जैसे चना, मटर, सेम, लौकी, इमली, आम, कपास, दालें, सूरजमुखी, अमरूद आदि। लेकिन द्विबीजपत्री पौधों में अपवाद स्वरूप कुछ भ्रूणपीपी बीज भी पाए जाते हैं। जैसे-अरण्डी (Castor), पोस्त (Poppy), पपीता (Papaya), शरीफा, गुलअब्बास (Four o'clock plant) आदि ।
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